May 23, 2025

Star News 21

Suresh Upmanyu Editor in Cheif 9917125300

अधिक मास में क्या करना चाहिए और क्या नही करना चाहिए जानिये सक्षिप्त में 2023…

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LIC वाले हीरालाल

अधिक मास में किसी भी तरह के शुभ कार्य करने की मनाही होती है. इस बार मलमास 2023 का प्रारंभ 18 जुलाई से हो रहा है, किसी किसी का कहना है कि 17 जुलाई से भी प्रारंभ हो रहा है जो कि 16 अगस्त तक चलने वाला है। मान्यता है कि अधिकमास में पालनकर्ता भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है। इस मास में अगर कोई व्यक्ति विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करता है, तो भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उसके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे पुण्य प्राप्त होता है. इसके फलस्वरूप साधक की हर मनोकामना भी पूर्ण होती है.

अधिक मास के दौरान भूलकर भी ये कम न करें –

1- अधिक मास के महीने में शादी विवाह जैसे कार्यक्रम पूरी तरह से वर्जित रहते हैं। इसमें महीने विवाह-सगाई जैसे मांगलिक कार्य प्रतिबंधित रहते हैं।

2- अधिक मास में मांस मदिरा का सेवन करना अनुचित माना गया है, ऐसा करने से व्यक्ति पाप का भागीदार बनता है।

3- इस महीने में किसी नए कारोबार की शुरुआत नहीं करनी चाहिए, मान्यता है कि इस मास में नया व्यापार असफल हो जाता है।

4- अधिक मास के दौरान भूल से भी अपने गुरू, गुरु समान व्यक्ति, पितृ देव, ईष्ट देव, स्वामी ग्रह और संतों का अपमान नहीं करना चाहिए।

5- अधिक मास के दौरान मुंडन संस्कार कराना भी वर्जित माना गया है. क्योंकि यह महीना शुभ कार्यों के लिए नहीं बना है।

6- इस पुरुषोत्तम माह में किसी भी प्रकार का व्यसन नहीं करें और मांसाहार से दूर रहें। मांस, शहद, चावल का मांड़, उड़द, राई, मसूर, मूली, प्याज, लहसुन, बासी अन्न, नशीले पदार्थ आदि नहीं खाने चाहिए।

7- इस माह में विवाह, नामकरण, अष्टाकादि श्राद्ध, तिलक, मुंडन, यज्ञोपवीत, कर्णछेदन, गृह प्रवेश, देव-प्रतिष्ठा, संन्यास अथवा शिष्य दीक्षा लेना, यज्ञ, आदि शुभकर्मों और मांगलिक कार्यों का भी निषेध है।

8- इस महीने वस्त्र आभूषण, घर, दुकान, वाहन आदि की खरीदारी नहीं की जाती है परंतु बीच में कोई शुभ मुहूर्त हो तो ज्योतिष की सलाह पर आभूषण की खरीददारी की जा सकती है।

9- अपशब्द, गृहकलह, क्रोध, असत्य भाषण और समागम आदि कार्य भी नहीं करना चाहिए।

10- कुआं, बोरिंग, तालाब का खनन आदि का त्याग करना चाहिए।

अधिक मास में ये करना चाहिए…

  1. यह मास धर्म और कर्म के लिए बहुत ही उपयोगी मास है। अधिकमास के अधिपति देवता भगवान विष्णु है। इस मास की कथा भगवान विष्णु के अवतार नृःसिंह भगवान और श्रीकृष्ण से जुड़ी हुई है। इसीलिए इसे पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है। इस माह में उक्त दोनों भगवान की पूजा करना चाहिए। पुरुषोत्तम भगवान का षोडशोपचार पूजन करना चाहिए।
  2. इस मास में श्रीमद्भागवत गीता में पुरुषोत्तम मास का महामात्य, श्रीराम कथा वाचन, विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ का वाचन और गीता के पुरुषोत्तम नाम के 14वें अध्याय का नित्य अर्थ सहित पाठ करना चाहिए। यह सब नहीं कर सकते हैं तो भगवान के ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादशाक्षर मन्त्र का प्रतिदिन 108 बार जप करना चाहिए।
  3. इस माह में जप और तप के अलावा व्रत का भी महत्व है। पूरे मास एक समय ही भोजन करना चाहिए जो कि आध्यात्मिक और सेहत की दृष्टि से उत्तम होगा। भोजन में गेहूं, चावल, जौ, मूंग, तिल, बथुआ, मटर, चौलाई, ककड़ी, केला, आंवला, दूध, दही, घी, आम, हर्रे, पीपल, जीरा, सोंठ, सेंधा नमक, इमली, पान-सुपारी, कटहल, शहतूत , मेथी आदि खाने का विधान है।

4- इस माह में विशेष कर रोग निवृत्ति के अनुष्ठान, ऋण चुकाने का कार्य, शल्य क्रिया, संतान के जन्म संबंधी कर्म, सूरज जलवा आदि, गर्भाधान, पुंसवन, सीमांत जैसे संस्कार किए जा सकते हैं।

5- इस माह में यात्रा करना, साझेदारी के कार्य करना, मुकदमा लगाना, बीज बोना, वृक्ष लगाना, दान देना, सार्वजनिक हित के कार्य, सेवा कार्य करने में किसी प्रकार का दोष नहीं है।

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