रिपोर्ट- LIC वाले हीरालाल नरेश ठाकुर के साथ…
श्रीराधाष्टमी पर राधा जन्मोत्सव के बाद शाम 05:30 बजे श्रीराधारानी निचे सफेद छत्तरी में भक्तों को दर्शन देने प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी आयी। लाडली के दर्शनों की लालसा को लिए लाखों भक्तगण टकटकी निगाहे लिये लाइन में खडे नजर आये। शाम 04:00 बजे से ही श्रीराधारानी का डोला सजने लगता है। और नीचे डोला को लाते समय सेवायत गोस्वामीगण डोला को उठाकर चलते है। और सफेद छत्तरी में विराजमान कर दर्शनों को आये लाखों श्रृद्धालुओं को श्रीराधारानी दर्शन देती है।
श्रीराधारानी अपने भक्तों को नजदीक से दर्शन देने के लिए शाम करीब 05:30 बजे गर्भगृह से बाहर मंदिर परिसर में बनी संगमरमर की सफेद छतरी में डोले में विराजमान होकर आयी। इस दौरान लाडिली के दर्शनों को श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा।
शनिवार की शाम को बरसाना में बृषभानु नंदनी अपने भक्तों को जन्माभिषेक के बाद सफेद छत्तरी में आकर अपने भक्तों पर कृपा का सागर बरसाती हैं। लाडिली की कृपा को पाने के लिए श्रद्धालु लालायित नजर आ रहे थे। शाम करीब 05:30 बजे बृषभानु नंदनी के डोला को गोस्वामी समाज के युवक कंधों पर उठाकर नीचे बनी सफेद छतरी में लाते हैं। नजदीक से राधारानी के दर्शन करके श्रद्धालु अपने आप उनकी कृपा मान रहे थे। मान्यता है कि पहले अन्य वर्ग के लोग मंदिर में प्रवेश नहीं कर पाते थे। इसीलिए ग्वालियर स्टेट के एक राजा द्वारा इसका निर्माण कराया गया था। साल में तीन बार बृषभानु नंदनी राधाष्टमी, हरियाली तीज व धुल्लैड़ी के दिन अपने भक्तों को नजदीक से दर्शन देने के लिए सफेद छतरी में आती है। शाम करीब सात बजे गोस्वामी समाज की कुवारी कन्या द्वारा संध्या आरती की जगह आरता किया गया। जिसके बाद राधा रानी को डोला में विराजमान करके वापस गर्भगृह में विराजमान किया गया।

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