बुद्धवार की शाम को बरसाना के प्रियाकुण्ड में डोंगा लीला आयोजित हुई। श्रीराधाकृष्ण के श्रीविग्रहों को सुदामा चौक से गाजेबाजे के साथ डोला में बिठाकर शोभायात्रा निकाल कर प्रियाकुण्ड में सजीधजी नौका में ले जाया गया। शोभायात्रा के दौरान हजारों भक्तगण डोला के साथ चल रहे थे।
जैसे ही प्रियाकुण्ड पर ठाकुरश्रीजी का डोला पहूचा ही था कि पहले से ही तैयार प्रियाकुण्ड को घेरे खडे भक्तगण व श्रृद्धालुओं ने जयकारों से पुरा आसमान गुंजायमान कर दिया। वही रासलीला कर रहे ठाकुरश्रीजी को भी प्रियाकुण्ड में नौका विहार के लिये नौका में बिठा कर सात चक्कर लगाये गये। प्रत्येक चक्कर पर नौका में जल बिहार कर रहे ठाकुरश्रीजी को देख ब्रजवासियों व भक्तगणों द्वारा श्रीराधा-कृष्ण के जयकारों लगाये गये। जयकारों से पूरा प्रेमसरोवर गुंजायमान हो रहा था।
नौका बिहार के समय महिलाएं, बच्चे और युवा मेला मे लग रहे झूला, मिक्की माउस, जलेबी, पटाके, बर्फ व तरह की मिठाइयों का आनन्द ले रहे थे। वही डोंगा लीला का समापन के समय ठाकुरश्रीजी के डोला को बिठा गाजे बाजे के साथ हरि कीर्तन करते हुए सुदामाचौक मन्दिर में ले जाकर पुन्ह विराजमान कर दिया गया। नौका बिहार लीला के दुसरे दिन मटकी लीला व विशाल दंगल प्रोग्राम भी होता है। जिसे देखने हजारों की संख्या में भक्तगण व दंगल (मल्लयुद्ध) प्रेमी दंगल देखने आते हैं। प्रशासन की व्यवस्था दुरुस्त व सजग रहती है। दंगल और मटकी मेला की सुरक्षा के लिए बहार से पुलिस व पीएसी अतिरिक्त बुलायी जाती हैं।

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